कैसे है दोस्तो, आज हम आपको रक्तदान के बारेमे महत्वपूर्ण जानकारी देने वाले है। अगर आप भी रक्तदान करना चाहते है पर आपके मन मे कुछ प्रश्न है तो आज हम उन सभी प्रश्नो का उत्तर आपको देने वाले है। रक्तदान के बारेमे एसी जानकारी देंगे जो आपको अभी तक पता नहीं थी। तो चलिए अब हम जानते है रक्तदान के बारेमे। 

क्या रक्तदान करना चाहिए ?


रक्तदान के बारेमे जानकारी : 

रक्तदान कई व्यक्तिओ ने किया होगा पर क्या आपको पता है की आपने जो ब्लड दान किया वह सामने वाली व्यक्ति को सीधा नहीं चड़ाया जाता है। आपने जो ब्लड दिया है वह उसी व्यक्ति को चड़ेगा तो जवाब है ना। तो चलिए अब हम जानते है की रक्तदान करने के बाद आपके रक्त का क्या होता है। 

सबसे पहले तो आपको यह बता दे की आपके मन मे यह बात है की हम रक्तदान करेंगे तो हमारा शरीर ढीला पड जाएगा, शरीर मे कमजोरी आ जाएगी, हमारे शरीर मे शक्ति नहीं रहेगी, तो यह सब बाते जूठी है। जब कोई रक्तदाता रक्त देने के लिए तैयार हो तो उसके रक्त को पहले चेक किया जाता है की वह अनियमित और अशक्त तो नहीं है न। रक्त दान करने के बाद उसमे कमजोरी तो नहीं आएगी ना। जब यह सुनिश्चित कर लिया जाता है की रक्त दान के बाद उसके जीवन मे कोई हानि नहीं पहुचेगी उसका ध्यान रखा जाता है। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि ब्लड बैंक खून लेने से पहले मलेरिया, हेपेटाइटिस, एचआईवी आदि का भी परीक्षण करता है।


एक रक्त बैग में लगभग 400 मिलीलीटर की भंडारण क्षमता होती है। 50 मिली का एक तरल है जो रक्त को जमने नहीं देता है। इसे Anticoagulant कहा जाता है। इसका मतलब है कि आप रक्तदान के दौरान केवल 350 मिली रक्त दान करते हैं। एक स्वस्थ शरीर में लगभग 5000ml यानी 5 लीटर रक्त होता है। तो 350ml रक्त को केवल एक या दो सप्ताह में पुनर्जीवित किया जा सकता है। 

रक्तदान के तुरंत बाद रक्त नहीं चढ़ाया जाता है। यह हेपेटाइटिस बी, सी, सीफल्स और कई अन्य बीमारियों के लिए फिर से परीक्षण किया जाता है जो रक्त के माध्यम से फैल सकते हैं। सभी परीक्षणों के पूरा होने के बाद रक्त को ब्लड बैंक में लाया जाता है। जहां रक्त को एक अपकेंद्रित्र मशीन में रखा गया है। ताकि रक्त तीन वर्गों में विभाजित हो। सबसे निचला भाग आरबीसी (रेड ब्लड सेल्स) है, मध्य भाग प्लेटलेट्स (जिसमें ल्यूकोसाइट्स आदि हैं), ऊपर प्लाज़्मा है। इन तीन चीजों को अलग-अलग संग्रहीत किया जाता है।

 जब एक डॉक्टर कहता है कि किसी को रक्त की जरूरत है तो इसका मतलब है कि उसे आरबीसी की जरूरत है न कि प्लेटलेट्स और प्लाज्मा की। प्लेटलेट्स रक्त को जमने में मदद करते हैं। उदाहरण के लिए, जब हम घायल होते हैं और रक्तस्राव शुरू करते हैं, तो प्लेटलेट्स हीरो होते हैं जो जगह पर जाते हैं और पैच। प्लाज्मा में पानी, लवण, एंटीबॉडी, प्रोटीन आदि होते हैं। प्लाज्मा का मुख्य कार्य रक्त को पतला रखना और रक्त कोशिकाओं और ल्यूकोसाइट्स को शिरा में बहते हुए आराम से यात्रा करने में मदद करना है।

इन तीन घटकों की आयु सीमा अलग-अलग है। जैसे प्लेटलेट्स के लिए 5 दिन, आरबीसी के लिए 28 दिन और प्लाज्मा के लिए 1 साल (नोट: -यह आयु सीमा कई देशों में भिन्न होती है)। तो प्लेटलेट्स और आरबीसी ... का उपयोग उस क्षेत्र में किया जाता है जहां से वे एकत्र किए जाते हैं। क्योंकि उन्हें परिवहन के लिए पर्याप्त समय नहीं है। लेकिन प्लाज्मा को दुनिया भर में भेज दिया जाता है। इस तरह जब आप रक्त लेने के लिए ब्लड बैंक जाते हैं, तो बैंक आपका रक्त लेता है और आपको लगभग 20 से 25 दिन पुराना रक्त देता है। यही कारण है कि सभी ब्लड बैंक एक-दूसरे से इतने निकट से जुड़े होते हैं, ताकि उनके समाप्त होने से पहले उनके पास मौजूद घटक दूसरे बैंकों में जमा हो सकें। इसके अनुसार, एक व्यक्ति के रक्त का उपयोग तीन से चार लोगों द्वारा किया जा सकता है।

अंत में सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक यह है कि जब किसी रोगी को रक्त की आवश्यकता होती है, तो उसे सीधे तनाज समूह का रक्त नहीं दिया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी मरीज का ब्लड ग्रुप बी है, तो बी ग्रुप की बोतल सीधे मरीज को नहीं दी जाती है। बल्कि, दोनों रक्त पहले क्रॉसमाच परीक्षण किए जाते हैं, दो बार (प्रत्यक्ष क्रॉसमैच और अप्रत्यक्ष क्रॉसमैच) भी। रक्त केवल तभी ट्रांसफ़्यूज़ किया जाता है जब दोनों रक्त एक दूसरे के प्रति कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाते हैं।

दोस्तो आपको यह जानकारी कैसी लगी आप हमे कॉमेंट बॉक्स मे बता सकते है और एसी ही जानकारी पढ़ने के लिए आप हमारी यह वेबसाइट की मुलाक़ात लेते रहिए। अगर आपको किसी भी प्रकार की जानकारी चाहिए तो आप कॉमेंट बॉक्स मे हमे बता सकते है। हम उसपर एक अच्छा सा आर्टिकल लिखेंगे। इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद।