कैसे है दोस्तो, आज हम सपने के बारेमे आपको कुछ मजेदार जानकारी देने वाले है। Sapne Kya Hote Hai और Sapne Kyon Aate Hain उसके बारेमें आज हम आपको जानकारी देने वाले है। ज्यादातर सपने हमे याद क्यो नहीं रहते है ? सपनों के दौरान हमारे दिमाग में क्या चल रहा है ? नींद मे लोग चलने क्यु लगते है ? आइए जानते है इन सभी के बारेमे। 


सपने (Dreams) क्यों आते हैं ? सपना क्या होता है ?



सपने क्यो आते है और सपने क्या होते है :

सपनो से संबन्धित अभ्यास को Oneirology कहा जाता है। ज्यादातर सपने हमें याद नहीं रहते क्योंकि जागने के दस मिनट के भीतर हम 95% सपने भूल जाते हैं। 1952 में, वैज्ञानिकों ने पाया कि बहुत ही अजीब गतिविधियां नींद के दौरान किसी विशेष समय पर होती हैं। जब शोधकर्ताओं ने उस समय लोगों को जगाया, तो सर्वेक्षण में कहा गया कि वे उस समय सपने देख रहे थे।

उस समय लोगो की आंखो मे लगातार गतिविधिया हो रही थी। इसीलिए नींद की उस अवस्था को उन्होने REM (Rapid Eye Movement) नाम दिया। जिसे हम गहरी नींद के रूप में भी जानते है। REM के दौरान शरीर में कई अजीबों-गरीब प्रकार की क्रियाएं होती हैं। REM के दौरान, मस्तिष्क एक जागरूक व्यक्ति के मस्तिष्क की तरह व्यवहार करता है।

एक जागरूक व्यक्ति के मस्तिष्क और REM के दौरान सो रहे व्यक्ति के मस्तिष्क के बीच एकमात्र अंतर यह है कि REM के दौरान नोरपाइनफ्राइन, सेरोटोनिन, हिस्टामाइन जैसे कुछ रसायनों का उत्पादन पूरी तरह से बंद हो जाता है।

अब आपको यह प्रश्न होगा की रसायनो की वजह से ऐसा कैसे ? तो आपको बता दे की आप जो भी गतिविधिया करते हो वह सभी रसायनो की वजह से ही कर पाते हो। इन रसायनो की कमी होने पर आप किसी भी प्रकार की गतिविधिया नहीं कर सकते। तो अब आपको पता चला कि सपने देखने के दौरान हमारे अंग काम क्यों नहीं करते हैं ? यही कारण के की आप सपनों मे हवा मे उड रहे होते हो और वास्तव मे आप नींद मे सपने देख रहे होते हो और बिस्तर पर होते हो। 

तो अब सवाल यह उठता है कि इंसान अपनी नींद में कैसे चलता है ? वास्तव में उस समय वे सपने देख रहे होते है पर उसका कारण है REM Atopia. जिन लोगों में यह लक्षण होता है वे अपनी नींद में चलते हैं। वे सपनों में जो देख रहे हैं, उसके अनुसार चलते हैं। आपने अक्सर महसूस किया होगा कि जागने के बाद भी आप हिल नहीं सकते, इसे स्लीप पैरालिसिस कहा जाता है। 

ऐसा इसलिए होता है क्योकि आप नींद मे से उठ तो जाते हो पर हमे ऊपर बताया जिस रसायनो के बारेमे तब वह काम नहीं कर रहे होते है। जब कोई अपनी नींद में चल रहा होता है, तो वह रसायन जो हम नींद मे होते है और वह काम नहीं कर रहे होते है वह उनके शरीर मे काम कर रहे होते है। इसलिए ऐसा होता है। 

हम सपने क्यो देख रहे होते है ? शोधकर्ताओं ने इसके लिए चूहों पर प्रयोग किया। उसने कुछ चूहों को दो समूहों में विभाजित किया। एक समूह को सामान्य नींद दी गई जबकि दूसरे समूह को REM से पहले गहरी नींद से पहले बार-बार जगाया गया। अंत में यह पता चला कि जिस समूह को सामान्य नींद दी गई थी, उसकी याददाश्त बेहतर थी। इसका साफ मतलब है कि नींद (सपने सहित) हमारी याददाश्त को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है।

यह मनुष्य मे भी होता है। इसका प्रयोग करने के लिए आप किस व्यक्ति को कोई भी बात हो वह थोड़ी देर के लिए याद रखने को कहो और फिर उसे सोने दे। उनको REM Sleep से पहले ही जागा दे और उनको फिर वह बातो को दोहरने के लिए कहे। इसलिए कई मामलों में लोगों को यह याद नहीं है। यह कहने के लिए नहीं है कि अगर कोई इंसान कुछ नया सीखता है, जैसे कि एक संगीत वाद्ययंत्र, एक कम्यूटर प्रोग्राम, आदि, तो उसके सीखने के दौरान उसके मस्तिष्क की गतिविधियां ठीक वैसी ही होती हैं जैसे कि REM के दौरान। जैसे दिमाग इसे फिर से दोहरा रहा है।

इंसान दिन भर कुछ भी सीखता या देखता है, रात में मस्तिष्क उन यादों को व्यवस्थित करने में व्यस्त होता है और उन यादों को अन्य यादों से जोड़ रहा होता है। साथ ही भविष्य में उन यादों से जुड़ी अन्य जानकारियों के लिए तैयारी के लिए तैयारी भी कर रहा होता है। मस्तिष्क की ये सभी गतिविधियाँ उस समय हमारे मस्तिष्क के चेतन माध्यम से गुजर रही होती हैं। जैसा कि हम जानते हैं कि जागने वाला मस्तिष्क नींद के दौरान सुप्त अवस्था में होता है, फिर भी यह बहुत से संकेतों से गुजरता है और हमारे चेतन मस्तिष्क उन दुर्लभ संकेतों के दृश्य के माध्यम से सपने तैयार करता है।

इससे हमें अंदाजा होता है कि हमारे सपने इतने अजीब क्यों होते हैं। अचानक आप जंगल से जहाज पर पहुँच जाते हैं या अपनी डाइनिंग टेबल पर भोजन कर रहे होते हैं लेकिन वह टेबल किसी और के घर में होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि चेतन मस्तिष्क संकेतों के माध्यम से किसी को कहानी बना रहा है। सपनों का कोई उद्देश्य नहीं है। बल्कि सपने हमारे मस्तिष्क की गतिविधियों का एक आकस्मिक परिणाम हैं जो मस्तिष्क इसके पीछे कर रहा है।

उपरोक्त जो जानकारी दी गई है वह संशोधन के आधार पर दी गई है। ये कहानियाँ सीमित आविष्कारों पर आधारित हैं। वैज्ञानिक अभी भी बेहतर-से-बेहतर व्याख्यात्मक मानकों वाले लोगों को प्राप्त करने के लिए शोध कर रहे हैं। इसमे बदलाव भी आ सकता है।

दोस्तो आपको यह जानकारी कैसी लगी आप हमे कॉमेंट बॉक्स मे बता सकते है और एसी ही जानकारी पढ़ने के लिए आप हमारी यह वेबसाइट की मुलाक़ात लेते रहिए। अगर आपको किसी भी प्रकार की जानकारी चाहिए तो आप कॉमेंट बॉक्स मे हमे बता सकते है। हम उसपर एक अच्छा सा आर्टिकल लिखेंगे। इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद।