कैसे है दोस्तो, आज हम आपको यूपीएससी की परीक्षा के बारेमे सम्पूर्ण जानकारी देने वाले है। आज हम यूपीएससी की परीक्षा के इतिहास के बारेमे बात करने वाले है की यूपीएससी की स्थापना कैसे हुई और यूपीएससी की परीक्षा का प्रारम्भ कैसे हुआ। यूपीएससी की परीक्षा प्रथम किसने पास की थी उसकी जानकारी भी हम आपको इस आर्टिकल मे देने वाले है तो चलिए अब हम जानते है की यूपीएससी क्या है। 

UPSC (यूपीएससी)

यूपीएससी का ऐतिहासिक परिद्रश्य : 

दोस्तो, भारत से योग्यता आधारित आधुनिक सिविल सेवा ई.स. 1854 मे ब्रिटिश संसद द्वारा प्रवर समिति की लॉर्ड मेकोले के रिपोर्ट के आधार पर साकार हुई थी। इस रिपोर्ट मे मेकोले द्वारा बताया गया था की ईस्ट इंडिया कंपनी के संरक्षण आधारित प्रणाली के स्थान पर इस प्रतियोगिता परीक्षा से प्रवेश के आधार पर योग्यता आधारित सिविल सेवा प्रणाली को लागू करना चाहिए। इस उद्देश्य को ध्यान मे रखते हुए साल 1954 को लंदन मे सिविल सेवा आयोग की स्थापना की गई और प्रतिस्पर्धात्म्क परीक्षाओ को 1855 से शुरू किया गया। 

शुरुआती समय मे भारतीय सिविल सेवा की परीक्षा का आयोजन सिर्फ लंदन मे ही किया जाता था। उस समय इस परीक्षा के लिए अधिकतम आयु 23 वर्ष और न्यूनतम आयु 18 वर्ष राखी गई थी। इस परीक्षा का पाठ्यक्रम इस प्रकार से बनाया गया था की इसमे ज्यादा अंक यूरोपियन क्लासिकी को ही मिलते थे और भारतीय उम्मीदवारों के लिए यह परीक्षा बहुत ही कठिन थी। इसके बावजूद रवीन्द्रनाथ टैगोर के भाई सत्येन्द्रनाथ टैगोर वह पहले एसे भारतीय थे जिनहोने 1864 मे इस सिविल सेवा परीक्षा को पास कर दिया था। 

ब्रिटिश सरकार को यह कदापि मंजूर नहि था की यह परीक्षा भारत मे ली जाए और इसमे ज्यादा भारतीय लोग प्रवेश करे। पर ऐसा नहीं हुआ और प्रथम विश्व युद्धा के दौरान और मोटेग्यु चैम्सफोर्ड सुधारो के बाद साल 1922 से भारतीय सिविल सेवा परीक्षा का आयोजन भारत मे होने लगा था। भारतीय सिविल सेवा की परीक्षा का प्रथम आयोजन इलाहाबाद मे और फिर फेडरल लोकसेवा आयोग की स्थापना के साथ साथ ही दिल्ली मे इन परीक्षाओ का आयोजन होने लगा था। 

स्वतन्त्रता के पूर्व भारतीय (शाही) पुलिस मे उच्च अधिकारियों की नियुक्ति सेक्रेटरी ऑफ स्टेट्स के द्वारा प्रतियोगिता परीक्षा के माध्यम पर की जाती थी। इस सेवा के लिए प्रथम प्रतियोगिता का आयोजन जून 1893 मे इंगलेंड मे किया गया था और 10 श्रेष्ठतम उम्मीदवारों को परिवीक्षाधीन सहायक पुलिस अधीक्षक के रूप मे नियुक्त किया गया था। इस शाही पुलिस के पद पर भारतीय लोगो का प्रवेश साल 1920 के बाद से आरंभ हुआ था और थोड़े ही वर्ष बाद सेवा हेतु परीक्षाओ का आयोजन इंगलेंड और भारत मे भी होने लगा था। 

इस्लिंग्टन आयोग और ली आयोग की घोषणा और सिफ़ारिशों के बावजूद इस पुलिस सेवा की भारतीयकरण की गति बहुत ही धीमी चल रही थी। साल 1931 तक पुलिस अधीक्षक के पदो के लिए 20% पदो पर ही भारतीय लोगो को नियुक्त किया जाता था। बाद मे सुयोग्य यूरोपियन उम्मीदवारों की अनुपलब्धता के कारण साल 1939 के बाद अधिक भारतीय लोगो को भारतीय पुलिस मे नियुक्त किया जाने लगा था। 

वन सेवा के संबंध मे भारतीय ब्रिटिश सरकार के द्वारा साल 1864 मे शाही वनविभाग की शुरुआत की गई थी और शाही वन विभागो के मामलो के सुनियोजन हेतुसर साल 1867 मे शाही वन सेवा का गठन किया गया था। साल 1867 से लेकर 1885 तक शाही वन सेवा के लिए नियुक्त किए गए अधिकारियों को फ्रांस और जर्मनी मे प्रशिक्षित किया जाता था। स्वतन्त्रता पश्चात अखिल भारतीय सेवा अधिनियम 1951 के तहत 1966 मे भारतीय वन सेवा की स्थापना हुई थी। 

साल 1887 मे एटचिन्सन आयोग ने नए पेटर्न पर सेवाओ के पुनर्गठन की सिफ़ारिश की थी और इसकी सेवाओ को तीन वर्गो मे बाँट दिया गया था। शाही, प्रांतीय और अधीनस्थ इन तीन सेवाओ मे उसे बाँट दिया गया था। शाही सेवाओ के भरती और नियंत्रण प्राधिकारी 'सेक्रेटरी और स्टेट्स' से जाने जाते थे। भारत के अधिनियम 1919 के पारित होने के बाद भारत के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट की अध्यक्षता मे संचालित शाही सेवाओ को दो भाग मे बाँट दिया गया था। अखिल भारतीय सेवा और केंद्रीय सेवा। 

भारत मे लोकसेवा आयोग का उद्गम भारतीय संवैधानिक सुधारो पर भारत सरकार के 5 मार्च 1919 की प्रथम विज्ञप्ति मे बताया गया है। जिसमे एक एसे स्थायी कार्यालय की स्थापना करने की आवश्यकता का उल्लेख किया गया है जिसमे सेवा मामलो के विनियमन का कार्यभार सोपा जाए। अधिनियम की धारा 96 (सी) भारत मे लोकसेवा आयोग की स्थापना की व्यवस्था है। 

भारत सरकार के अधिनियम 1919 की धारा 96 (सी) के प्रावधानों और लोकसेवा आयोग की स्थापना को लेकर ली आयोग के द्वारा 1924 मे की गई सिफ़ारिशों के बाद भारत मे पहली बार लोकसेवा आयोग की स्थापना 1 अक्तूबर 1926 को हुई थी। जिसमे अध्यक्ष के अतिरिक्त 4 सदस्य होते थे। सर रॉस बार्कर इस आयोग के प्रथम अध्यक्ष थे। भारत सरकार के अधिनियम 1919 मे लोकसेवा आयोग के कार्यो का कोई उल्लेख नहीं किया गया था। 

26 जनवरी 1950 को भारत के संविधान के प्रारम्भ होने के साथ संविधान के अनुच्छेद 378 के खंड (I) के आधार पर फेडरल लोकसेवा आयोग को संघ लोकसेवा आयोग के रूप मे जाना गया। 

संवैधानिक उपबंध :

UPSC (यूपीएससी)


आयोग के कार्य :

UPSC (यूपीएससी)


सचिवालय :

UPSC (यूपीएससी)


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